ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है!
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है!
कितनी मासूम और नादान है ये!
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है!
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तुम हसीन हो गुलाब जैसी हो,
बहुत नाजुक हो ख़्वाब जैसी हो,
दिल की धड़कन में आग लगाती हो,
होठो से लगाकर पी जाऊ तुम्हे,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो,
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हो चुकी मुलाकात अभी सलाम है,
तुम्हारे नाम की दो घूंट शराब बाकि है,
तुमको मुबारक हो खुशियो का शामियाना,
मेरे नसीब में अभी दो गज़ जमीन बाकि है,
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उसने हाथो से छू कर दरिया के
पानी को गुलाबी कर दिया,
हमारी बात तो और थी उसने
मछलियों को भी शराबी कर दिया….
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पुराने रिवाजों कों अब कौन जिन्दा रखता है,
खोटे सिक्कों का हिसाब अब कौन रखता है ,
कुछ लोंग भी होते हों खोटे सिक्कों कि तरह ,
भला उन्हें अपने बटुए की पनाह में अब कौन रखता है!!!!!!
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