“हम अपना दर्द
किसी को कहते नही,
वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही,
आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे,
क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही.”
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“आसमान से तोड़ कर ‘तारा’ दिया है|
आलम ए तन्हाई में एक शरारा दिया है|
मेरी ‘किस्मत’ भी ‘नाज़’ करती है मुझे पे
खुदा ने ‘ग्रुप’ ही इतना प्यारा दिया है…”
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चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है
खबर ये आसमाँ के अखबार की है
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले….
बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है..
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पहले भी कभी सुनी थी, ये प्यार की बातें,
पहले भी दिल को बहुत दुखाया है,
आज फिर तुमने कुरेदे है, वो ज़ख़्म,
आज फिर इस दिल को रुलाया है,
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ऐ नादान दिल रोते नहीं,
कुछ
अपने हो के भी पास होते नहीं,
ज़रा
से फासले पर उदासी कैसी?
दिल
में बसने वाले कभी दूर होते नहीं,
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