नंगे पाव चलता इन्सान को लगता है
.
कि "चप्पल होते
तो कितना अच्छा होता"
.
बाद मेँ,
"साइकिल
होती तो कितना अच्छा होता"
.
बाद मेँ सोचता है
"मोटर साइकिल होती तो बातो-
बातो मेँ
रास्ता कट जाता"
.
फिर ऐसा लगता है,
"कार होती तो धुप नही लगती"
.
फिर लगता है कि,
"हवाई जहाज होती तो इन ट्राफिक
कि झंझट नही होती"
.
जब हवाई जहाज मेँ बेठकर नीचे हरे-भरे घास
के मैदान
देखता है तो सोचता है,
कि "नंगे पाव घास मेँ चलता तो दिल
को कितनी तसल्ली मिलती"
.
.
"जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ -
ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
.
“क्योंकि जरुरत
तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है
और
ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह
जाती है”
0 comments:
Post a Comment