मर जाऊँ मैं अगर तो आँसू मत बहाना,
बस कफ़न की जगह अपना दुप्पटा चढ़ा देना,
कोई पूछे की रोग क्या था,
तो सर झुका के मोहब्बत बता देना,
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ये शाम इतनी तन्हा क्यों होती है,
और किस्मत से अपनी ,
सबको शिक़ायत क्यों होती है,
अजीब खेल खेलती है ये किश्मत भी,
जिन्हे हम पा नहीं सकते ,
उससे ही मोहब्बत क्यों होती है,
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नज़र चाहती है दीदार करना,
दिल चाहता है प्यार करना,
क्या बताएं इस दिल का आलम,
नसीब में लिखा है इंतज़ार करना,
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हम उनको खोना नहीं चाहते,
उनकी जुदाई में रोना नहीं चाहते,
दुआ करो वो सिर्फ हमारे ही रहे,
क्यों की हम किसी और के होना नहीं चाहते,
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मै तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती,
मैं सवाल बन जाता अगर वो जवाब होती,
सब जानते है मैं नशा नहीं करता,
मगर मैं पी लेता अगर वो शराब होती,
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