इश्क में ये अनजाम पाया है;
हाथ पैर टूटे, मुंह से खून आया है;
हॉस्पिटल पहुचा तो नर्स ने फ़रमाया;
बहारों फूल बरसाओ, किसी का महबूब आया है।
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क्या हुआ जो उसने रचा ली मेहँदी;
हम भी अब सेहरा सजायेंगे;
तो क्या हुआ अगर वो हमारे नसीब में नहीं;
अब हम उसकी छोटी बहन पटायेंगे
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शायर हूँ शायरी अर्ज़ करता हूँ जो इतनी भी नहीं
है बुरी;
शायर हूँ शायरी अर्ज़ करता हूँ जो इतनी भी नहीं है बुरी;
चुपचाप सुन लो नहीं तो जान से हाथ धो बैठोगे;
क्योंकि मेरे पास है छुरी.
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जा रहे है ये टूटा दिल ये बिखरे अरमां छोड़ कर,
बस ये दिलासा दे फिर ऐसा हम पे सितम ना हो।
जब टूटे डोर साँसों की तो इतना करना मेरे खुदा,
तेरी इन हवाओं में मुस्कराहट रहे, मातम ना हो।
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मेरी मोहोब्बत का असर तो देखो सनम
लोग आजकल मिलते तो मुझसे हैं.
.....बाते तेरी
होती हैं.....!!!
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